दूर मोहल्ले में एक दादी
भूख से व्याकुल हैं क्यूंकि,
कन्यायें नहीं मिल रहीं उन्हें
जो पारायण कर सकें वो अपना व्रत!
ये वही एक दादी हैं
कि जिन्होंने कुछ महीने पहले,
भूखा रखा था कई दिनों तक,
अपनी बहू को
बेटी के पैदा होने पर !
दूर मोहल्ले में एक दादी
भूख से व्याकुल हैं क्यूंकि,
कन्यायें नहीं मिल रहीं उन्हें
जो पारायण कर सकें वो अपना व्रत!
ये वही एक दादी हैं
कि जिन्होंने कुछ महीने पहले,
भूखा रखा था कई दिनों तक,
अपनी बहू को
बेटी के पैदा होने पर !
कुछ कंचे
आज भी मेरी,
मेज पे रक्खे है..
सिर्फ इसी इंतजार में !
कि जो बच्चा
कैद है सीने में,
कभी तो..
बाहर निकले.!