Thursday, October 2, 2014

कन्या पूजा

दूर मोहल्ले में एक दादी
भूख से व्याकुल हैं क्यूंकि,
कन्यायें नहीं मिल रहीं उन्हें
जो पारायण कर सकें वो अपना व्रत!

ये वही एक दादी हैं
कि जिन्होंने कुछ महीने पहले,
भूखा रखा था कई दिनों तक,
अपनी बहू को
बेटी के पैदा होने पर !

Wednesday, September 17, 2014

नज़ारे..





कुछ नज़ारे कि जिन्होंने मुझे तराशा है ,
अक्सर मेरी आँखों में बेसाख्ता खनक उठते हैं...
कि जैसे खनकते हों गुल्लक में कुछ कीमती सिक्के..! 

Monday, August 11, 2014

कंचे

कुछ कंचे
आज भी मेरी,
मेज पे रक्खे है..
सिर्फ इसी इंतजार में !

कि जो बच्चा
कैद है सीने में,
कभी तो..
बाहर निकले.!