Friday, December 21, 2012

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते" वाले देश में बलात्कार

पिछले कुछ दिनों से पूरा देश दिल्ली गैंगरेप की घटना से सदमे में है । ऐसे में बलात्कारियों को क्या सजा हो लोग इसकी चर्चा परिचर्चा में जुटे है| अधिकतम लोगों जिनमे हमारे कई राजनीतिज्ञ/ न्यायविद  भी शामिल है का कहना है कि बलात्कारियों को मृत्युदंड का प्राविधान किया जाये | कई लोग संवेदनशीलता की होड़ में अपने को अति संवेदनशील घोषित कर कानून-व्यवस्था पर ही सारा दोष मढ़कर किनारे होने की जुगत में है । पर सोचने वाली बात ये है कि क्या किसी भी अपराध को सिर्फ कड़े दंड के माध्यम से ही रोका जा सकता है ? क्या समाज में रहने, उसका एक अंग होने के कारन हम सबका ये दायित्व नहीं बनता कि हम सब अपने अपने स्तर से एक बेहतर भयमुक्त समाज का निर्माण करें जिसमे कानून व्यवस्था हमारी सहयोगी हो न कि सारी जिम्मेदारी कानून व्यवस्था पर सौंपकर हम सब चैन की नींद सोयें तब तक जब तक की कोई अनहोनी न घटित हो जाये ? क्या बलात्कारियों को मृत्युदंड देने से बलात्कार की घटनाएँ थम जाएँगी ? ऐसा होता तो आज हत्या जैसे अपराध का नामोनिशान नहीं होता । आज जरुरत है समाज में कि हम एक अच्छे माहौल के लिए भयमुक्त वातावरण के लिए कानून व्यवस्था के सहचर बनें साथ ही अपने कर्तव्यों का निर्वाह भी सम्यक तरीके से करें | आज जो सबसे अधिक चिंताजनक है वो है समाज का भारी मात्रा में नैतिक अवमूल्यन । इसके लिए जहाँ हमारी शिक्षा व्यवस्था दोषी है जिसमे नैतिकता, संस्कारों के बजाय बच्चों को यौन शिक्षा पर अधिक महत्व दिया जा रहा है तो वही टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले तमाम भद्दे कार्यक्रम, अश्लील विज्ञापन आदि भी कहीं हद तक जिम्मेदार है । हमें समाज के उन सभी कारकों को अबिलम्ब चिन्हित कर उनको समूल नष्ट करना होगा कि जिनके कारन देवियों के देश में जहा धरती को भी माँ की संज्ञा दी गयी, परायी स्त्री को माता सामान ( मातृवत परदारेषु ) समझा जाता था, में महिला सिर्फ एक भोग की वस्तु बनकर ही रह गयी है । समाज का ये दोहरा रूप कि जिसमे एक तरफ बेशर्मी की पराकाष्ठा वाले स्लट मार्च निकालने वाले लोग रेप पीडिता को न्याय दिलाने निकले लोगों में शामिल हो कैसे समीचीन हो सकता है ? जिस प्रकार दो भाग हाइड्रोजन और एक भाग आक्सीजन मिलकर जल का निर्माण करते है ठीक उसी प्रकार समाज के जागरूक व कर्तव्यपरायण नागरिक एवं कठोर कानून व्यवस्था दोनों मिलकर ही एक बेहतर, सभ्य समाज का निर्माण कर सकते है । आइये समाज को समय रहते ही गर्त में जाने से हम सब मिलकर रोक ले नहीं तो किसी शायर ने लिखा है...
"उसके क़त्ल पे मै भी चुप था, मेरा नंबर अब आया
मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है अगला नंबर आपका है ।"
तो वही सरकार को चाहिए कि बलात्कार के मामलों में दोषियों को केमिकल एवं सर्जिकल कास्त्रेसन (castration) जैसी सजा का प्राविधान करे एवं बलात्कारियों के माथे पर ऐसा चिन्ह गोदा जाये जिससे कि उसकी पहचान बलात्कारी के रूप में हो सके इसके साथ ही साथ बलात्कार के मामलों एवं अन्य महिला अपराधों के लिए फ़ास्ट-ट्रैक अदालतों का गठन करें ताकि एक निश्चित समय सीमा में इन सम्पूर्ण मानवता के प्रति हुए जघन्यतम अपराधों के लिए दोषियों को सजा दी जा सके ।